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Blog / 06 Feb 2019

(राष्ट्रीय मुद्दे) अंतरिम बजट 2019 : विशेषज्ञों की नज़र में (Interim Budget 2019 : Specialists Opinion)

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(राष्ट्रीय मुद्दे) अंतरिम बजट 2019 : विशेषज्ञों की नज़र में (Interim Budget 2019 : Specialists Opinion)


एंकर (Anchor): कुर्बान अली (पूर्व एडिटर, राज्य सभा टीवी)

अतिथि (Guest): अजय दुआ (पूर्व वाणिज्य सचिव), डॉ. आलोक पुराणिक (आर्थिक मामलों के जानकार)

सन्दर्भ:

NDA सरकार ने अपने कार्यकाल का आख़िरी बजट पेश कर दिया है। ये बजट 2019-20 वित्त वर्ष का अंतरिम बजट है, जोकि आम चुनाव के पहले तक होने वाले सरकारी खर्च के लिए पैसे मुहैया कराएगा। अंतरिम बजट में सरकार ने लगभग सभी वर्ग के लोगों को लुभाने की कोशिश की है, जिसके कारण इस बजट को चुनावी बजट भी कहा जा रहा है।

अंतरिम बजट में मिडिल क्लास को राहत देते हुए सरकार ने 5 लाख से काम आय वाले लोगों को इनकम टैक्स में छूट दी है। किसानों के लिए भी सरकार ने • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना शुरू की है, जिसके ज़रिए 2 हेक्टेयर तक के ज़मीन वाले किसान परिवारों को हर साल 6 हज़ार रुपये की आर्थिक मदद की जाएगी।

अंतरिम बजट में सरकार ने असंगठित श्रेत्र में काम करने वाले क़रीब 10 करोड़ कामगारों के लिए एक निश्चित मासिक पेंशन दिए जाने का फैसला लिया है । इस पेंशन के लिए किसी असंगठित श्रेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को हर महीने 100 रूपये जमा करने होंगे जिसे 60 वर्ष की उम्र के बाद ये पेंशन हर महीने 3000 रुपये की निश्चित धनराशि के रूप में दी जाएगी। अंतरिम बजट में सरकार ने रक्षा और रेल मंत्रालय के लिए पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस बार ज़्यादा धनराशि मुहैया कराई है । इसके अलावा फसल कर्ज, मछली पालन और राष्ट्रीय गोकुल मिशन जैसी नई योजनाएं भी शुरू की गईं है।

अंतरिम बजट में शामिल छोटे किसानों को न्यूनतम आय दिए जाने के फैसले पर कई सवाल उठ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन का मानना है कि ये सहायता राशि किसानों के हित में नहीं हैं। किसानों की हालत को बेहतर करने के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करना चाहिए था जोकि सरकार ने नहीं किया। इसके अलावा इस स्कीम का फायदा भी उन किसानों को नहीं मिल पायेगा जिनके पास ज़मीन का पट्टा नहीं हैं। अंतरिम बजट में शामिल गैर असंगठित क्षेत्र को दी जाने वाली पेंशन योजना भी एक तरीके से जल्दबाजी में लिया गया फैसला है। क्यूंकि गैर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय का पता लगा पाना बहुत मुश्किल है। साथ ही अंतरिम बजट में कारोबारियों को ज़्यदा कुछ हासिल नहीं हो सका है। जिसके कारण कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इण्डिया ट्रेडर्स ने भी बजट को कारोबारियों के लिए निराशाजनक बताया है। इसके अलावा कुछ दिन पहले बेरोजगारी पर आई नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की रिपोर्ट के मुताबिक़ देश में बेरोजगारी दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर यानी 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जबकि NDA सरकार ने हर साल लगभग 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। हालांकि इस रिपोर्ट की अभी पुष्टि नहीं हो सकी है।

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